शायरी… ट्रक वाली


नज़र में शोखियाँ, लब पर मुहब्बत का तराना है,

मेरी उम्मीद की जद में, अभी सारा ज़माना है,

कई जीतें हैं दिल के देश पर मालूम है मुझको,

सिकंदर हूँ मुझे इक रोज़ ख़ाली हाथ जाना है...!

~ कुमार विश्वास 



सफ़र से लौट जाना चाहता है 

परिंदा आशियाना चाहता है 


कोई स्कूल की घंटी बजा दे 

ये बच्चा मुस्कुराना चाहता है 


उसे रिश्ते थमा देती है दुनिया 

जो दो पैसे कमाना चाहता है 


यहाँ साँसों के लाले पड़ रहे हैं 

वो पागल ज़हर खाना चाहता है 


जिसे भी डूबना हो डूब जाए 

समुंदर सूख जाना चाहता है 


हमारा हक़ दबा रक्खा है जिस ने 

सुना है हज को जाना चाहता है

~ शकील जमाली



जो सामने तूफ़ान के आया नहीं करते 

हम ऐसे चराग़ों को जलाया नहीं करते 


जो सुन के उड़ा देते हों हर बात हँसी में 

अहवाल उन्हें दिल के सुनाया नहीं करते 


किस तरह फले-फूले मोहब्बत ये हमारी 

वो रूठ तो जाते हैं मनाया नहीं करते 


रखते हैं मोबाइल में मोहब्बत की निशानी

अब फूल किताबों में छुपाया नहीं करते 


तादाद सितारों की ज़ियादा तो है लेकिन 

सूरज के मुक़ाबिल कभी आया नहीं करते 


रिज़वान बने बैठे हैं वो लोग यहाँ पर 

जो पैर कभी माँ के दबाया नहीं करते 


कहते हैं बड़े बूढे की घट जाती हैं इज़्ज़त 

हर रोज़ किसी के यहाँ जाया नहीं करते 

~ मेहरबान अमरोहवी



कभी ना गया मैं विदेश,

प्यारा है मुझे स्वदेश..

फिर चाहे हो बिहार या

हो वह उत्तर प्रदेश..!



दिल के अरमां आंसुओं में बह गए

वो उतर कर चल दिए 

हम गियर बदलते रह गए 


रोड पर चलती है कार

तो लगती होगी हसीना..

पर ट्रक को मेरे देखकर

आता होगा उसे पसीना..


इतनी जल्दी है तो फिर हवाई जहाज़ में सवारी कर 

बार बार हॉर्न बजाकर तू मेरा दिमाग़ मत ख़राब कर 


हमें तो डीज़ल ने लूटा, टायरों में कहा दम था 

हमें जहाँ भेजा गया, वह का भाड़ा कम था 


भूत प्रेत और मासूम बीवी 

मन का वहम है 

ऐसा कुछ नहीं होता 



दम है तो क्रॉस कर नहीं तो बर्दाश्त कर।


कुत्ता भी बिना वजह नहीं भौंकता

DO NOT HONK 



तलाक दिया तुमने बड़े गुरुरो कहर के साथ 

लौटा दो मेरा शबाब भी मेरे मेहर के साथ

~ जमीला युसूफ





हमें जमाने से क्या लेना, हमारी गाड़ी ही हमारा वतन होगा

दम तोड़ देंगे स्टियरिंग पर, और तिरपाल ही हमारा कफन होगा…



क्यों मरते तो बेवफा सनम के लिए, दो गज जमीन मिलेगी दफन के लिए। 

मरना हो तो मरो अपने वतन की मिट्टी के लिए,  हसीना भी दुपट्टा उतार देगी कफ़न के लिए। , 


अपनी आजादी को हरगिज़ मिटा सकते नहीं, 

सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं। 



लाख फ़ौजें ले के आई अमन का दुश्मन कोई

लाख फ़ौजें ले के आई अमन का दुश्मन कोई

रुक नहीं सकता हमारी एकता के सामने

हम वो पत्थर हैं जिसे दुश्मन हिला सकते नहीं

जो सबक बापू ने सिखलाया भुला सकते नहीं

सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं

~ शकील बदायुनी (नौशाद का संगीत)



इश्क तो करता है हर कोई, महबूब पर पर मरता है हर कोई। 

कभी अपने वतन को महबूब बना कर देखो, तुझपे मरेगा हर कोई। 


ये बात हवाओं को बताए रखना, रोशनी होगी चिरागों को जलाए रखना, 

लहू देकर भी जिसकी हिफाजत की, उस तिरंगे को तू दिल में बसाए रखना।

दूध मांगोगे तो खीर देंगे

कश्मीर मांगोगे तो चीर देंगे….


हर रास्ते से ट्रक मेरा

शान से गुजरता जाए..

नाज है मुझे जो उसपे

हमेशा तिरंगा लहराए..!