ज़िन्दगी
ज़िंदगी क्या है अनासिर में ज़ुहूर-ए-तरतीब
मौत क्या है इन्हीं अज्ज़ा का परेशाँ होना
~ चकबस्त ब्रिज नारायण
अनासिर - tatva, elements
ज़ुहूर-ए-तरतीब - meticulously arranged
अज्ज़ा - tuakde, khand,
परेशाँ - bikharna
जिंदगी क्या है जानने के लिए
जिंदा रहना बहुत ज़रूरी है
आज तक कोई रहा भी तो नहीं
~ गुलज़ार
क़ैद-ए-हयात ओ बंद-ए-ग़म अस्ल में दोनों एक हैं
मौत से पहले आदमी ग़म से नजात पाए क्यूँ
~ ग़ालिब
qaid-e-hayaat - prison of life
band-e-Gam - bondage of grief
najaat - मुक्ति, रिहाई, छुटकारा, आज़ादी
ज़िन्दगी तू ने मुझे कब्र से कम दी है ज़मीन
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है
~ बशीर बद्र
हम ग़मज़दा है लाये कहा से ख़ुशी के गीत
देंगे वही जो पायेंगे इस जिन्दगी से हम
~ साहिर लुधियानवी
'अख़्तर' गुज़रते लम्हों की आहट पे यूँ न चौंक
इस मातमी जुलूस में इक ज़िंदगी भी है
~ अख़्तर होशियारपुरी
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं
~ इमाम बख़्श नासिख़
दिलों में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो, तो ज़िंदा हो तुम
नज़र में ख्वाबों की बिजलियाँ लेके चल रहे हो, तो ज़िंदा हो तुम
~ जावेद अख़्तर
धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो
~ निदा फ़ाज़ली
सैलाब-ए-ज़िंदगी के सहारे बढ़े चलो
साहिल पे रहने वालों का नाम-ओ-निशाँ नहीं
~ बाक़र मेहदी
क्यों डरें ज़िन्दगी में क्या होगा
कुछ ना होगा तो तज़रूबा होगा
~ जावेद अख़्तर
ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूँ देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
~ साहिर लुधियानवी
ज़िन्दगी एक फन है लम्हों को
अपने अंदाज़ से गवाने का
~ जौन एलिया
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
~ राहत इन्दोरी
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ
मैं दिल को उस मुक़ाम पे लाता चला गया
मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया
~ साहिर लुधियानवी